माननीय संस्थापक

स्वर्गीय विचित्र कुमार सिन्हा जी

vichitr kumar sinhaवर्ष 1924 में मध्यप्रदेश के गुना जिले में श्री उमाचरण जी के घर जन्में विचित्र कुमार सिन्हा का व्यक्तित्व बहुआयामी था। उन्होंने एक साथ पत्रकार, राजनेता, कवि-कथाकार, स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी का जीवन जिया। सन् 1939 में वे मात्र पन्द्रह वर्ष की उम्र में झण्डा सत्याग्रह में कूद पड़े। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे चार बार जेल में रहे। स्वतंत्रता संग्रामी के रूप में उन्होंने कला स्नातक और साहित्य रत्न की उपाधियाँ हासिल कीं। सन् 1949 में भोपाल सियासत में प्रथम संस्कृत स्कूल और हरिजन पाठशाला की स्थापना की। भोपाल में ही उन्होंने मित्र मण्डल की स्थापना कर स्वतंत्रता संग्राम-गतिविधियों को गति दी। स्वदेशी वस्तु उपयोग आंदोलन तथा खादी के प्रचार-प्रसार से भी जुड़े रहे। हस्तलिखित पत्रिका ‘मित्रादेश’ का प्रकाशन किया। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में ‘विद्रोह’, ‘चित्रकार से’ (काव्य संग्रह), ‘स्वयंवरा’ ‘लघुकथा संग्रह’ और ‘कुंडलियाँ जो मैंने कहीं’ भाग-1 एवं भाग-2 हैं। इसके अलावा विशाल भारत, सरस्वती, हंस, धर्मयुग, कादम्बिनी सहित देश की सभी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन किया। पत्रकार के रूप में उन्होंने 1942-47 के बीच ‘पंचशील’ और सन् 1950-1967 की अवधि में हिन्दी ‘ब्लिट्ज’ का सफल प्रकाशन किया गया। सन् 1973 से साप्ताहिक ‘विचित्र विनोद’ का प्रकाशन प्रारंभ किया, जो आज तक निरन्तर है। सन् 1995 में नर्मदापुरम (होशंगाबाद) से वहाँ के पहले दैनिक ‘क्षितिज किरण’ का प्रकाशन उनकी प्रेरणा से उनके पुत्र के. के. सक्सेना ने प्रारंभ किया जो वर्तमान में सीहोर, नर्मदापुरम (होशंगाबाद) और जबलपुर से नियमित प्रकाशित हो रहा है। विचित्र कुमार सिन्हा ने पाँच सितम्बर 1995 को देवलोक गमन किया।