बाइडेन ने अपना चीन विरोधी रुख दो-टूक व्यक्त किया। कहा कि चीन हर मोर्चे पर हमारा इम्तिहान ले रहा है। चीन की चुनौती और इंडो-पैसिफिक में उसके बढ़ते कथित दबदबे से निपटना क्वॉड-2024 में मुख्य थीम बना रहा। वैसे तो अमेरिका के डेलवेयर में आयोजित क्वॉड्रैंगुलर सिक्युरिटी डायलॉग (क्वॉड) शिखर सम्मेलन की विदाई बैठक कहा गया था, लेकिन यहां इसके सदस्य देशों ने चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। इसे विदाई बैठक इसलिए कहा गया, क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की इसमें आखिरी भागीदारी थी। अगले कुछ महीनों में दोनों अपने पद से रिटायर्ड हो जाएंगे। लेकिन जाते-जाते बाइडेन ने अपना चीन विरोधी रुख दो-टूक व्यक्त किया। कहा कि चीन हर मोर्चे पर हमारा इम्तिहान ले रहा है। चीन की चुनौती और इंडो-पैसिफिक में उसके बढ़ते कथित दबदबे से निपटना क्वॉड-2024 में मुख्य थीम बना रहा। जारी साझा बयान में कहा गया- हम विवादित पक्षों के सैन्यीकरण और दक्षिणी चीन सागर में बलपूर्वक और धमकाने वाले पैतरों पर गंभीर चिंता जाहिर कर रहे हैं। इसके बावजूद क्वॉड नेता चीन का सीधे नाम लेने से बचे। यहां तक कि बाइडेन ने बैठक में जब कहा कि ‘चीन लगातार आक्रामक बर्ताव कर रहा है और समूचे क्षेत्र में हमें जांच रहा है’, तो बताया गया कि ये टिप्पणी सार्वजनिक तौर पर नहीं की जानी थी। लेकिन संभवत: बाइडेन का माइक्रोफोन गलती से ऑन रह जाने की वजह से यह सबको सुनाई दे गया। उधर प्रधानमंत्री मोदी ने यह जिक्र करना जरूरी समझा कि क्वॉड किसी देश विशेष के खिलाफ नहीं है। उन्होंने पहले की ही तरह क्वॉड को सकारात्मक एजेंडे से संचालित बताने की कोशिश की। वैसे मोदी ने कहा कि क्वॉड मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का समर्थन करता है। उन्होंने कहा- मुक्त, खुला हुआ, समावेशी और संपन्न इंडो-पैसिफिक हमारी प्राथमिकता है। हम किसी के विरुद्ध नहीं हैं। हम सभी नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता के लिए सम्मान, भूभागीय अखंडता और सभी मसलों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं। बातों का मतलब साफ है। निशाना चीन ही है। तटरक्षकों के साझा अभ्यास पर सहमति भी चीन केंद्रित ही है। फिर भी चीन का सीधे नाम लेने में हिचक क्यों है, यह समझना रहस्य बना हुआ है। क्या यह भारत की ब्रिक्स और एससीओ जैसे मंचों पर भी उपस्थिति की सीमाओं के कारण है?
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