-पशुपालन विभाग की योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए राष्ट्रीय निगरानी दल करेगा पूछताछ
भोपाल (आरएनएस)। प्रदेश में अब मोबाइल के माध्यम से पशुओं की गणना की जाएगी। पशुपालन विभाग के अधिकारी और टीम इसके माध्यम से पशुओं का डेटा कलेक्शन कर इसे मोबाइल एप में फीड करेंगे। इसके लिए डेटा कलेक्शन करने के साथ इसमें जानकारी होगी कि मेल, फीमेल कितने पशु हैं। साथ ही पशुओं की राज्यवार जानकारी होगी। पशुओं की 219 नस्ल हैं। इसमें विमुक्त घुमक्कड़ के पास कितनी नस्ल के पशु हैं? इनसे जानकारी लेंगे। इसके बाद आगे की योजनाओं पर विचार किया जाएगा।ये बातें पशुपालन विभाग के संचालनालय में मध्य प्रदेश में संचालित योजनाओं की मॉनिटरिंग के लिए आए भारत सरकार के मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा गठित राष्ट्रीय निगरानी दल के अफसरों ने कहीं। मीडिया से चर्चा में कहा गया कि पशुगणना के साथ पशुओं की अन्य जानकारी भी जुटाई जाएगी। प्रदेश के पांच दिवसीय दौरे पर 4 अक्टूबर को भोपाल आई टीम ने मध्यप्रदेश में संचालित विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के मैदानी स्तर पर अमल का आकलन एवं मूल्यांकन करना शुरू किया है। साथ ही शासकीय योजनाओं के विषय में पशुपालकों तथा हितग्राहियों के सुझाव एकत्रित करेगा और योजना क्रियान्वयन के मापदंडों, गुणवत्ता और परिणाम को मापेगा।
जांच दल में ये अधिकारी शामिल
डॉ. ई. रमेश कुमार, प्रमुख सचिव मध्य प्रदेश शासन पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने बताया कि राष्ट्रीय दल द्वारा प्रमुख रूप से राष्ट्रीय गोकुल मिशन (क्रत्ररू), राष्ट्रीय पशुधन मिशन (हृरुरू), राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (हृक्कष्ठष्ठ), पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (हृ्रष्ठष्टक्क) का मूल्यांकन किया जायेगा। दल में डॉ. अजय के. गहलोत, सेवानिवृत्त कुलपति, पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, डॉ. रिषिपाल सिंह, सेवानिवृत्त डायरेक्टर, नेशनल प्रोडक्टिविटी काउंसिल, डॉ. आंगन निरूला, सेवानिवृत्त जनरल मेनेजर ओएनजीसी, डॉ. प्रदीप सारस्वत, सेवानिवृत्त संयुक्त संचालक, पशुपालन विभाग, श्री जगत हजारिका, एडवाइजर सांख्यिकी एवं वीपी सिंह, सहायक संचालक, सांख्यिकी शामिल हैं।
विमुक्त, घुमक्कड़ समाज ने कहा, पशुगणना के साथ सुविधाएं भी मिलें
इनके साथ प्रेस कांफ्रेंस में शामिल हुए विमुक्त घुमक्कड़ समाज के लोगों ने कहा कि पशु गणना होना जरूरी है। पशुपालकों का नाम छूटना नहीं चाहिए। एमपी में इस समाज के लोगों को वन अधिकार दिए जाने की जरूरत है। आए दिन पशुपालकों के साथ चोरी, लूट, डकैती की घटनाएं हो रही हैं। इसलिए न्याय किया जाए। मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले इस जाति के लोग महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में माइग्रेट करते हैं।