खुशियों की दास्तां : बच्‍चों के सारे सपने पूरे हो मेरी यही कोशिश है – शिक्षिका संध्या मलैया

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टेप के माध्यम से बच्चों को पढ़ाती शासकीय प्राथमिक शाला आईटीआई की दिव्यांग शिक्षिका संध्या मलैया

अपने हौसलों से शिक्षक बनने का बचपन का सपना किया पूरा

नर्मदापुरम/ मेरी दिव्‍यांगता ने कभी मुझे कमजोर नहीं किया ना ही मैंने कभी उसको अपने सपनों के बीच में आने दिया। यह कहना है शासकीय प्राथमिक शाला आईटीआई नर्मदापुरम की प्राथमिक शिक्षक संध्या मलैया का। सुश्री मलैया बचपन से ही दिव्यांग है उनकी पढ़ाई उनकी मां की सहायता से हुई। उन्होंने बताया कि उनकी पढ़ाई में उनकी मां का बहुत बड़ा योगदान रहा, वे अपनी मां की गोद में बैठकर ही स्कूल जाती थी। सुश्री मलैया की प्राथमिक पढ़ाई कक्षा 1 से आठवीं तक शासकीय प्राथमिक शाला आईटीआई से हुई जहां पर वे आज प्राथमिक शिक्षक के रूप में पदस्थ है। सुश्री संध्या मलैया बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही पढ़ने लिखने में बहुत रुचि थी एवं उनका बचपन का सपना था कि वे एक शिक्षक बने। 1999 में प्राथमिक शाला सिलारी में शिक्षक के रूप में पदस्थ होकर उन्‍होने अपने सपने को पूरा भी किया तथा 2009 में शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय में 10 वर्ष लाइब्रेरियन का भी पदभार संभाला। सुश्री मलैया द्वारा बच्चों के साथ कबाड़ से जुगाड़ में कई प्रोजेक्ट तैयार किए गए जिसमें उन्हें छोटे बच्चों का भी सहयोग मिलता रहा। वे बताती है कि बच्चों को वह टेप के माध्यम से पढ़ाती है। उनकी सदैव यही कोशिश रहती है कि उनके उनके द्वारा शिक्षित विद्यालय के बच्चे पढ़ लिख कर आगे बढ़े एवं अपने सपनों को पूरा करें।

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