भोपाल (आरएनएस)। कोरोना संक्रमण काल में बच्चों की पढ़ाई के लिए अनिवार्य बना स्मार्टफोन अब पढ़ाई की जगह गेमिंग और मनोरंजन का साधन बन गया है। खतरा यह है कि इनकी आदत और इनमें दिए जा रहे टास्क पूरा करने का जुनून सेहत खराब करने के साथ जानलेवा साबित हो रहा है। जानकारी के अनुसार, भोपाल में बीते डेढ़ साल में मनोवैज्ञानिकों के अलावा निज और सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में करीब 700 ऐसे मामले आए हैं, जिनमें टास्क का जानलेवा जुनून आठ से 16 साल तक के बच्चों में नजर आया। इनमें कुछ मामले तो बेहद चौंकाने वाले हैं। गेम और टॉस्क के ट्रैप में आने के बाद टीएनजर्स खुद को जानकार बताते हैं, चोट और यहां तक के अंतरंग तस्वीरें भी लेते हैं और उन्हें ऑनलाइन अपलोड करते हैं। खुद को नुकसान पहुंचाना सीधे गर्व से जुड़ा मामला हो जाता है और उन्हें लगता है कि इससे उनका खूब नाम होगा। अधिकतर मामलों में पैरेंट्स को लगता है कि रउनके बच्चे ऐसा गेम का हिस्सा हो ही नहीं सकते।