माह के आखरी दिन सेवा निवृत्त होने वालों को दी विदाई

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अनेक विभागों के कर्मचारी हो गए सेवा निवृत्त, तबादला सूची की हो रही प्रतीक्षा

नर्मदापुरम। माह का आखरी दिन सेवानिवृत्त होने वालों की विदाई वेला का दिन रहा। अनेक विभागों में पूरे दिन विदाई के कार्यक्रम में व्यस्तता रही। कर्मचारियों की उम्र 62 वर्ष पूर्ण होने पर सेवानिवृत्ती दी गई। कर्मचारियों का कार्यकाल पूर्ण होने पर उन्हें विदाई दी गई। इस मौके पर आयाेजित होने वाले विदाई वेला के समय कर्मचारियों के साथ बिताए दिन दोनों पक्ष याद कर रहे थें।

बढ़ता ही जा रहा विभागों में अभाव

प्राय: सभी विभागों में कर्मचारियों का अभाव बना हुआ है। अनेक विभागों में काम चलाऊ अर्थात संविदा आधारित कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है। 31 जुलाई को जनसंपर्क विभाग, आरटीओ, शिक्षा, स्वास्थ्य, लोनिवि वन विभाग, कृषि सहित अनेक विभागों से बाबुओं की सेवानिवृत्ति हुई। जिसमें जन संपर्क विभाग के श्री बसेडिया, सहित जल संसाधन विभाग के दो शासकीय प्राथमिक शाला से दो शिक्षकों वन विभाग, नगर पालिका, लोक निर्माण विभाग सहित अन्य विभागों से भी दर्जनों कर्मचारियों की विदाई हो गई। कुछ विभागों में शाल श्रीफल से सम्मान करते हुए उज्जवल भविष्य की कामना दी गई। सेवा करते हुए 62 वर्ष पूरी होने पर विदाई की गई। आज का दिन अनेक विभागों में विदाई समारोह की तैयारी में निकल गया। जिसकी विदाई हुई उसे भी अपने कार्यकायल के कागजातों की याद आती रही। तथा जो पेंशन के पात्र हैं उन्हें पेंशन से संबंधित प्रक्रिया पूरी करने में समय लगा। कर्मचारियों की कमी के चलते शेष रहे कर्मचारियों पर भार आता जा रहा है।

60 में हीे होना चाहिए सेवानिवृत्ति की उम्र

शासन द्वारा 60 से बड़ाकर 62 की उम्र में सेवानिवृति तय की गई है। यह कोई अपढ़ लोगों ने नियम नहीं बनाया है तथाकथित पढ़े लिखे लोगों ने नियम बनाया है। इसमें राजनीति ज्यादा हावी रही है। कायदे से ऐसा करना बहुत ही गलत कदम है। जिसकी भी थी घटिया सोच का परिणाम है। सेवानिवृत्ती की उम्र कभी नहीं बढ़ानी चाहिए कम हो सके तो कर देना चाहिए। जिससे कि नए युवकों को सेवा का मौका मिल सके जिससे वे पूरे उत्साह के साथ कार्य कर सकें। 60 से बढ़ाकर 62 निर्णय बेतुका है।

पहले से ही भार उसके बाद मिलता है प्रभार

प्राय: अनेक विभागों में बाबुआें के पास पहले से ही अनेक कार्य हैं। जब उसी विभाग का कोई कर्मचारी सेवानिवृत्त होता है तो उसका प्रभार किसी अन्य बाबू को दिया जाता है जिसके पास पहले से ही अनेक काम का बोझ रहता है। अतिरिक्त बोझ लाद दिया जाता है।

जनप्रतिनिधियों की पेंशन हो बंद

सेवानिवृत्ति वाले दिन अनेक विभागों में यह बात जोर देकर हो रही थी कि जिन कर्मचारियों ने कई वर्ष तक कार्य किए हैं उन्हें पेंशन नहीं मिले लेकिन जो जनप्रतिनिधि कुछ समय के लिए चुने गए उन्हें पेंशन मिलती रहेगी। ऐसा बंद होना चाहिए।

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