बीते सप्ताह सोयाबीन तिलहन में गिरावट, अन्य में सुधार

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नईदिल्ली, ( आरएनएस)। बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग की वजह से सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट आई। दूसरी ओर आयातित सोयाबीन डीगम तेल की जुलाई खेप की कीमत में वृद्धि के कारण बाकी सभी देशी एवं आयातित तेल-तिलहन के दाम में सुधार देखने को मिला।
बाजार सूत्रों ने कहा कि जुलाई खेप वाले सोयाबीन डीगम तेल का दाम कांडला बंदरगाह पर 1,040-1,045 डॉलर प्रति टन से बढक़र 1,080-1,085 डॉलर प्रति टन हो गया है। इसकी वजह से बाकी सभी देशी और आयातित तेलों के दाम में वृद्धि देखने को मिली है। हालांकि, जितना विदेशों में दाम बढ़े हैं उतनी वृद्धि देश में नहीं देखने को मिली।
इस वृद्धि की वजह से सरसों एवं मुंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल तथा कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन के साथ-साथ बिनौला तेल के दाम मजबूत बंद हुए। जुलाई खेप का तेल देश में सितंबर महीने तक पहुंचेगा। इस तेल की आयात की लागत बंदरगाह पर 92 रुपये किलो पड़ता है बैंकों के कर्ज के भुगतान जरूरत की वजह से आयातक इसे आयात लागत के मुकाबले कम यानी 88 रुपये किलो के भाव बेच रहे हैं जिसके लिए भी लिवाल नहीं मिल रहे।
सूत्रों ने कहा कि लगभग ढाई लाख टन की मासिक जरूरत के मुकाबले जून महीने में लगभग पांच लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात हुआ जिसे बाजार में ‘राजा तेल’ के रूप में जाना जाता है। इस आयात ने देशी तेल-तिलहनों की हालत और पस्त कर दी है, जिनकी खपत पहले ही काफी कम हो चुकी है।
आयात के हिसाब से इस तेल का दाम 88 रुपये लीटर बैठता है। लेकिन कांडला बंदरगाह पर 82 रुपये लीटर के हिसाब से भी इस तेल के लिवाल नहीं मिल रहे हैं, ऐसी स्थिति में देशी सूरजमुखी तेल (औसत कीमत 140-145 रुपये लीटर) का बाजार में खपना और तिलहन उत्पादन बढ़ाकर आत्मनिर्भरता हासिल करने का सपना ‘दूर की कौड़ी’ नजर आता है।
सूत्रों ने कहा कि तिलहनों के दाम सरकार हर साल बढ़ाती है लेकिन तेल का दाम 10-20 रुपया भी न बढ़े इसके लिए जो रास्ता अपना रही है, उससे सरकार को आयात के लिए अधिक विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ता है।
इससे देशी तेल-तिलहन उद्योग को चोट पहुंचने के साथ-साथ तिलहन किसान को वाजिब दाम नहीं मिल पाता और कई बार एमएसपी से कम दाम पर तिलहन बेचने को मजबूर होना पड़ता है, देशी तेल मिलों का कामकाज प्रभावित होता है।
मौजूदा समय में पेराई के बाद दाम बेपड़ता होने की वजह से पेराई मिलों को लिवाल नहीं मिलते जिससे उन्हें घाटा हो रहा है। बैंकों का ‘लेटर आफ क्रेडिट’ चलाते रहने के लिए आयातकों को आयात लागत से कम दाम पर तेल बेचने से नुकसान है जिससे बैंकों के कर्ज डूबने का खतरा पैदा होता है। इन सबसे आगे जिस तेल को सस्ता करने और उपभोक्ताओं को फायदा देने के लिए ये सारी कवायद की जा रही होती है, उस उपभोक्ता को खुदरा में यही तेल मंहगे में खरीदना पड़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि जब देशी तेल का बाजार ही नहीं है और उसके लिए अनुकूल नीतियां नहीं हों तो किसान तिलहन बढ़ाकर भी क्या करेंगे जब उसका बाजार में खपना तय ही न हो।
मौजूदा समय में देशी सरसों, सोयाबीन, बिनौला, मूंगफली, सूरजमुखी जैसे तेल-तिलहन को इस परिस्थिति से गुजरना पड़ रहा है। फिर तेल तिलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करना एक सपने की तरह नजर आता है।
सूत्रों ने कहा कि देश को सस्ते आयातित तेलों का ‘डंपिंग ग्राउंड’ बनने से बचाने और देशी तेल तिलहन उद्योग को बचाने के लिए सरकार को तत्काल सूरजमुखी तेल के अंधाधुंध आयात को नियंत्रित करने के लिए उसपर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये जो हमारे देशी ‘सॉफ्ट आयल’ (मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, बिनौला, सूरजमुखी) को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहे हैं।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव पांच रुपये बढक़र 6,035-6,095 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 75 रुपये बढक़र 11,675 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 1,900-2,000 रुपये और 1,900-2,025 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
डीआयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग होने की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 10-10 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,570-4,590 रुपये प्रति क्विंटल और 4,380-4,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
दूसरी ओर, सोयाबीन डीगम के जुलाई शिपमेंट के दाम बढऩे के कारण सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 150 रुपये, 50 रुपये और 100 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 10,400 रुपये, 10,200 रुपये तथा 8,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन कीमतें मजबूत रहीं।
मूंगफली तिलहन 100 रुपये की तेजी के साथ 6,350-6,625 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 320 रुपये की तेजी के साथ 15,200 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 30 रुपये की तेजी के साथ 2,280-2,580 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 100 रुपये की तेजी दर्शाता 8,625 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 125 रुपये की तेजी के साथ 9,850 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 120 रुपये की तेजी के साथ 8,900 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सूत्रों ने कहा कि बिनौला तेल का भाव 100 रुपये मजबूत होकर 10,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
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