सड़कों के साइड सोल्डर में कम डाली थी मिट्टी और मुरम, निकली हुई गिट्टियों पर वाहनों के फिसलने का खतरा
नर्मदापुरम। मानसून की प्रारंभिक बारिश से ही सड़कों और उनके दोनों ओर बने हुए साइड सोल्डर खतरनाक होने लगे हैं। ग्रामीण इलाकों के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 69 के साइड सोल्डर भी बेहद खतरनाक स्थिति में आ चुके हैं। नर्मदा ब्रिज से लेकर नर्मदापुरम तक के क्षेत्र में ही कई जगह की मिट्टी बहने लगी है गढ्ढे हो चुकें हैं। इनके कारण हादसों की आशंका बनी रहती है। लोक निर्माण विभाग द्वारा भी इन्हें ठीक नहीं किया जा रहा है। केंद्र शासन की सड़कें हो या प्रदेश सरकार की सीमेंट की सड़कें हो या डामर रोड इन सड़कों के बाजू में साइड सोल्डर बनाए जाते हैं। विभागीय उदासीनता के चलते साइड सोल्डर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इन्हें ठीक करने के लिए कई बार मुरम की जगह मिट्टी डालकर काम चलाया जाता है। इससे बरसात में वाहन साइड देते समय या तो फंस जाते हैं या फिर दुर्घटना हो जाती है। गर्मी के मौसम में सड़कों की मरम्मत करने के दौरान लोक निर्माण विभाग, आरईएस, मनरेगा और अन्य सड़क निर्माण एजेंसियों को सड़क के बाजू में साइड सोल्डर अच्छे से बनाना होता है। ये एजेंसियां मुरम कम और मिट्टी का ज्यादा उपयोग करते हैं जो बरसात में कई वाहनों के लिए मुसीबत का कारण बनती है।
बह जाती है मिट्टी
चाहे नेशनल हाईवे की सड़क हो, राज्यमार्ग हो, ग्रामीण क्षेत्रों की प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, ग्रामीण सड़क योजना की सड़कें हों, प्रायः सभी सड़कों के साइड सोल्डर जर्जर हो रहे हैं। इन पर मिट्टी डाल देने से वर्षा होने पर अनेक जगह की सड़कों के बाजू में मिट्टी बह जाती है। और दलदल हो जाती है। यही मिट्टी सड़क पर आ जाती है, जिससे सड़कों पर आना जाना मुश्किल होता है।
डलनी चाहिए मुरम
शासकीय नियमों के अंतर्गत सड़कों के बाजू में साइड सोल्डर पर मुरम डाली जानी चाहिए। जिससे की दो बड़े वाहन आमने-सामने आने पर साइड देते समय सड़क के नीचे उतरें तो उनके पहिए मिट्टी में न धंसे, लेकिन कहीं कहीं भसुआ डालकर साइड सोल्डर बना दिए जाते हैं जहां पर वाहन चालकों को परेशान होना पड़ता है।
जिम्मेदार नहीं देते हैं ध्यान
शहर के नागरिक कन्हैया गौर व सुरेंद्र गौर, ने बताया सड़क की साइड में मुरम व गिट्टी से भरी जानी चाहिए लेकिन निर्माण एजेंसियों ने मिट्टी से भरकर बेगार टाल दिया। सीसी रोड निर्माण के दौरान जिम्मेदारों ने कहीं भी निगरानी नहीं की जिससे यह स्थिति निर्मित हो रही है। अभी भी नगरपालिका के जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।
रात में ज्यादा खतरा
जो मार्ग ज्यादा व्यस्त रहते हैं जिसमें मुख्य रूप से हाईवे के साइड में जो खस्ताहाल स्थिति है उसके कारण रात के समय वाहनों के साइड देने पर खतरे की आशंका ज्यादा बनी रहती है। स्पष्ट दिखाई नहीं देने पर सड़क के नीचे वाहन उतारने में वाहन के पहिए फंस जाते हैं। जिससे दुर्घटनाएं होती हैं।
हाईवे भी सुरक्षित नहीं
साइड सोल्डर के मामले में नेशनल हाईवे भी सुरक्षित नहीं है। भोपाल तिराहे से लेकर आदमगढ़ रेलवे फाटक तक ही नहीं नर्मदा पुल से लेकर रसूलिया के डबल फाटक तक कई स्थानों पर सड़कों के साइड में पानी भरा हुआ है। नीचे काली मिट्टी है। इसमें वाहन फंस जाते हैं। यदि साइड देने में वाहन बचने की कोशिश करते हैं तो कई बार टक्कर भी हो जाती है।
कराया जाएगा सुधार
सड़कों के साइड में मुरम डलवाने का कार्य चलता रहता है। मार्ग बनाने के दौरान सडकों के किनारे भी भरे जाते हैं। जहां कहीं गड्ढे हो जाते हैं उन्हें भरवाने का कार्य किया जाता है। यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। जिन स्थानों पर ज्यादा खराबी है। उन स्थानों पर प्राथमिकता के अाधार सुधार किया जाता है।
एके पाठक एसडीओ लोनिवि