60 किलोग्राम चंद्रमा पर पहुंच कर महसूस होंगे 10 किलोग्राम – सारिका घारू
पृथ्वी के 14 दिन तक चांद पर दिन और बाद के 14 दिन तक होती है रात – सारिका
भोपाल (आरएनएस)। जब हमारे देश में सूर्यास्त होने को होगा तब हमारा चंद्रयान अपनी यात्रा पूरी करके मून के उस पर पहुंच रहा होगा जहां चंद्रमा के लिये सूर्योदय होगा । सफलता और गौरव के रूप में बनने जा रहे इस दिवस के अवसर पर नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बच्चों के लिये चंद्रमा पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया ।सारिका ने बताया कि जब चंद्रयान अपने पड़ाव पर पहुंच रहा होगा उस समय चंद्रमा की हमसे लगभग 3 लाख 88 हजार 500 किमी की दूरी होगी । इस रात चंद्रमा का लगभग 40 प्रतिशत भाग चमकता हुआ पृथ्वी से दिख रहा होगा ।सारिका ने बताया कि चंद्रमा का गुरूत्वाकर्षण खिंचाव कमज़ोर है यह पृथ्वी का लगभग छठा हिस्सा है । चंद्रमा पर, आप पृथ्वी की तुलना में लगभग छह गुना अधिक ऊंची छलांग लगाने में सक्षम होंगे । अगर आप पृथ्वी पर अपना भार 60 किलोग्राम मापते हैं तो चंद्रमा पर सिर्फ 10 किग्रा महसूस होगा । हम पृथ्वी से चंद्रमा के केवल एक ही पक्ष को देख पाते हैं , उसके पीछे का भाग हम कभी नहीं देख पाते हैं क्योंकि चंद्रमा को अपनी धुरी पर घूमने में जितना समय लगता है उतने ही समय में वह पृथ्वी का एक चक्कर भी लगा लेता है । चंद्रमा की इक्वाटोरियल रेडियस 1735.5 किलोमीटर है । इसका आरबिट और रोटेशन पीरियड पृथ्वी के 27.32 दिन के बराबर होता है । इसका द्रव्यमान पृथ्वी के लगभग 1 प्रतिशत से ही कुछ अधिक है ।चंद्रमा का तापमान अधिकतम 123 डिग्री सैल्सियस हो जाता है तो अंधेरे भाग में यह घटकर माईनस 248 डिग्री तक गिर जाता है । अगर हम पृथ्वी के उत्तरी गोलाद्र्ध से बांई ओर चमकते हंसियाकार चांद को देखते हैं तो दक्षिणी गोलाद्र्ध में यह दांई ओर चमकता हंसियाकार चांद दिखाई देता है , हालाकि चमक का आकार बराबर होता है । और हां चंद्रयान की निरंतर सफलताओं के बाद आने वाले समय में अगर आज के बच्चे बड़े होकर चंद्रमा पर छुट्टियां बितायेंगे तो ध्यान रखें कि चांद का एक दिन धरती के लगभग 28 दिनो के बराबर होता है. पृथ्वी के 14 दिन तक चांद पर दिन रहता है और बाद के 14 दिन तक होती है रात ।