वर्तिका काव्‍य पटल का लोकार्पण एवं साहित्‍य संगोष्‍ठी

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श्रेष्‍ठ साहित्‍य से समाज को मिलती है दृष्टि

जबलपुर। ऐसा साहित्‍य जो रीति-रिवाज और मूल्‍यों से जुड़ा होता है, उसका विशेष महत्‍व है। श्रेष्‍ठ साहित्‍य से समाज को दृष्टि मिलती है। समय के साथ-साथ हमें श्रेष्‍ठ साहित्‍य के सृजन एवं संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए। वर्तिका द्वारा प्रतिमाह प्रस्‍तुत काव्‍य पटल श्रेष्‍ठ साहित्‍य के प्रस्‍तुतिकरण का अनुपम उदाहरण है।

तदाशय के उद्गार अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर क्रियाशील संस्‍था ‘वर्तिका’ द्वारा दत्‍त मंदिर सभागार में आयोजित संगोष्‍ठी एवं काव्‍य पटल लोकार्पण समारोह में अतिथियों ने व्‍यक्‍त किए।

समारोह के मुख्‍य अतिथि ई.सुरेन्‍द्र पवार थे। अध्‍यक्षता पं. दीनदयाल तिवारी बेताल ने की। विशिष्‍ट अतिथि डॉ. मृदुला सिंह एवं दीप्ति श्रीवास्‍तव की कविताओं पर आधारित काव्‍य पटल लोकार्पण हुआ। वर्तिका संयोजक विजय नेमा अनुज एवं वर्तिका के अध्‍यक्ष राजेश पाठक ‘प्रवीण’ ने भाषा विज्ञानी बुन्‍देली मर्मज्ञ डॉ. पूरनचंद श्रीवास्‍तव के बुन्‍देली साहित्‍य पर प्रकाश डाला।

संचालन प्रभा विश्‍वकर्मा, संतोष नेमा एवं आभार आशुतोष तिवारी ने व्‍यक्‍त किया।

*काव्य गोष्ठी* द्वितीय सोपान में हिंदी-बुन्‍देली काव्‍य गोष्‍ठी हुई, जिसमें राजेन्‍द्र मिश्रा, सुभाष शलभ, डॉ. सलपनाथ यादव, जयप्रकाश श्रीवास्‍तव, निर्मिला डोंगरे, प्रभा खरे, यशोवर्धन पाठक, निरंजन द्विवेदी, आरती श्रीवास्‍तव, दीप्ति श्रीवास्तव, कालीदास ताम्रकार, प्रतुल श्रीवास्तव, विजय जायसवाल, मोती शिवहरे, डॉ. प्रकाश दुबे, विनीता पेगवार, डॉ. वंदना दुबे, दीप्ति ठाकुर, सुशील जैन आभा, मनोज शुक्ला, गुप्तेश्‍वर द्वारका गुप्त, अमर सिंह वर्मा, डॉ. विश्‍वजीत श्रीवास्तव, अभय तिवारी, सुशील श्रीवास्तव, कुंजीलाल चक्रवर्ती निर्झर, आलोक पाठक ने काव्‍य रस वर्षा की।

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