नर्मदांचल के गोबर के गणेश की मांग दिल्ली तथा बेंगलूरू तक

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गोबर के गणेश और गोसंवर्धन से मिल रहा समृद्धि का आशीर्वाद

बैंक की नौकरी छोड़कर युवा ने पत्नी के साथ शुरू किए देशी गाय के गोबर के उत्पाद

देशी गौ माता के गोबर से गणेशजी की मूर्तियों का किया जा रहा निर्माण

नर्मदापुरम।गोवंश के संवर्धन के लिए युवा दंपत्ति ने अपनी रोजी रोटी के साथ ही गोसंवर्धन की दिशा में एक नई प्रेरणादायी पहल शुरू की हैं। नर्मदापुरम जिले के पर्रादेह गांव के युवा मनीष सोनी ने स्टेट बैंक में सहायक मैनेेजर का पद छोड़कर अपनी पत्नी किरन सोनी के साथ मिलकर गोसेवा करने की ठान ली है। उन्होंने सबसे पहले अपने गांव में ही गोवंश की सेवा के लिए गोबर के उत्पाद का कार्य शुरू किया है। जिसमें प्रथम पूज्य भगवान गणेश की अाकर्षक ईको फेंडली मूर्तियां बनाई हैं। उनके द्वारा तैयार गणेश जी की डिमांड नोयडा से लेकर बेंगलूरू तक रहती है। जिसके तहत गणेश जी की प्रतिमा बनाने में दोनों पति पत्नी रात दिन जुटे हुए हैं। युवा के इस कार्य में उनकी पत्नी का भी भरपूर सहयोग मिलता है। देानों मिलकर गायों की सुरक्षा का संकल्प लेकर गोबर के गणेश तथा अन्य उत्पाद तैयार कर रहे हैं। इनका कहना है कि जल्दी ही वह जैविक खाद तैयार करेंगें। क्योंकि गाय का पालन सिर्फ दूध के भरोसे नहीं किया जा सकता है उसे फिर से खेती से जोड़ा जाएगा। जिससे गोवंश की सुरक्षा हो सकेगी। खेती में सुधार आएगा, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल सकेगा। पर्यावरण सुधरेगा। किसान दूध घी के साथ साथ गोबर गोमूत्र से भी आय अर्जित कर सकते है। इसी बात को ध्यान में रखकर गोशाला तैयार की है।

घर के पास ही तैयार की कामधेनु गोशाला

मनीष ने देखा कि वर्तमान में लोग गाय की सेवा करना भूल रहे हैं। क्योंकि गाय से उतना फायदा नहीं होता है। इसलिए गाय को घर से बाहर कर दिया गया है। यदि गाय से आय के स्त्रोत बढ़ जाएं तो गाय की सेवा फिर से शुरू हो सकती है। इसी ध्येय को ध्यान देते हुए घर के पास की स्वयं की जमीन पर गोशाला तैयार की। गायों के घास व भूषा का खर्च निकालने के साथ स्वयं की आय के लिए गाय के गोबर के उत्पाद आवश्यक हैं। इसलिए गाय के गोबर से गणेश जी व अन्य सामग्री तैयार की है। उन्होंने बताया कि पहले चरण में देशी गिर नस्ल की 7 गाय का पालन किया जा रहा है। उनके गोबर से बनाए जाने वाले गणेशजी की मूर्तियां मई के महिने से तैयार करना शुरू किया था। बाहर रहने वाले परिचितों परिजनों से संपर्क करते हुए दिल्ली के नोयडा व बैंगलूरू तक गणेश जी की मूर्ति की मांग होने लगी। जिससे भगवान गणेश और गोमाता का आशीर्वाद भी मिल रहा है। मूर्तियों के विक्रय से होने वाली आय गोसंवर्धन पर खर्च की जाएगी। मूर्ति निर्माण में गाय के गोबर के साथ कुछ मात्रा में मुलतानी मिट्टी व हल्की मात्रा में हवन सामग्री का उपयोग करते है। इससे मूर्तियों को मजबूती मिलती है। एक दो दिन सुखाने के बाद उन्हें विभिन्न रंगों से आकर्षक रूप दिया जाता है। इस कार्य में हम कुछ अन्य ग्रामीणों को भी रोजगार से जोड़ रहे हैं। उन्हें भी मानदेय पर कार्य दे रहे हैं।

अगला चरण जैविक खाद

उन्होंने बताया कि अब इस क्षेत्र में कदम रख लिया है अगले चरण में गोबर का जैविक खाद तैयार किया जाएगा। जिसकी भी मांग शुरू हो चुकी है। वहीं गोमूत्र की वाटल भी तैयार की जाएगी। जिसका उपयोग औषधी के रूप में होता है।

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