उज्जैन (ए)। नागपंचमी पर अडिग आस्था ने मुश्किलों से पार पाते हुए भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन किए। रविवार रात से शहर में रुक रुककर वर्षा हो रही थी। इसके बावजूद श्रद्धालु भीगते हुए दर्शन की कतार में खड़े रहे। लगातार बारिश से मार्ग में कीचड़ व फिसलन भी हो गई थी। दर्शनार्थियों को भगवान के दर्शन में दो से ढाई घंटे का समय लगा। सोमवार रात 12 बजे पट बंद होने तक करीब चार लाख भक्तों ने भगवान के दर्शन किए। नागपंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की गई। रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि 12 बजे मंदिर के पट खोले गए। पश्चात महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनितगिरि महाराज के सानिध्य में पूजा अर्चना की गई। दोपहर 12 बजे प्रशासनिक अधिकारियों ने शासकीय पूजन किया गया। शाम को भगवान महाकाल की संध्या आरती के बाद महाकाल मंदिर के पुजारियों ने नागचंद्रेश्वर की पूजा अर्चना की। शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया।
महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार नागपंचमी पर दोपहर 12 बजे शासकीय पूजा के बाद मंदिर के शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया गया। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत ने ध्वज का पूजन किया। इसके बाद प्रशिक्षित कर्मचारियों ने शिखर पर ध्वज आरोहण किया। महाकाल को शेषनाग धारण कराया। नागपंचमी पर भगवान महाकाल को चांदी के शेषनाग धारण कराने की भी परंपरा है। सुबह पुजारियों ने कोटितीर्थ कुंड के समीप नागदेवता का मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक पूजन किया इसके बाद भगवान महाकाल के शीश शेषनाग सजाया गया।