भोपाल। जी-20 की बैठक के बाद सरकार द्वारा 18 सितम्बर को विशेष सत्र बुलाया गया है एवं इसके पूर्व 17 सितम्बर समस्त पार्टी बैठक भी बुलाई गई है, जी=20 के पहले से ही भारत के राष्ट्रपति द्वारा आधिकारिक भोज के निमंत्रण पत्र में रिपब्लिक ऑफ भारत के नाम का इस्तेमाल करने से शियासी घमासान शुरू हो गया है। भारत विरूद्ध इंडिया इस पक्ष को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक विशेष मुद्दे के रूप में देखा जा रहा है। इसी विषय पर दक्षिण भारत के प्रबल पॉडकास्ट (द इंडियन पोडियम) ने रविवार को व्याख्यान सम्मेलन आयोजित किया जिसमें दैनिक क्षितिज किरण के निदेशक व वरिष्ठ पत्रकार श्री विलक्षण सक्सेना मद्रास हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिलाश गोपीनाथ व मिथलेश देवराज,पार्टनर सीआरएम लीगल चैन्नई एवं पृथ्वी कन्न,सामाजिक व न्यायिक विश्लेषक को क्रमांश विशेष वक्ता, मॉडीरेटर एवं विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। व्याख्यान में चर्चा करते हुए श्री विलक्षण सक्सेना ने कहा कि इंडिया शब्द वास्तव में धर्मनिरपेक्षता के सबसे विरूद्ध है। क्योंकि भारत के इतिहास को जब देखा जाये तो इंडिका शब्द से निकले इंडिया उन लोगों को प्रेषित है जो लोग शिन्धु नदी के किनारे हिन्दु धर्म का पालन करते थे, अथवा वह सिर्फ हिन्दुओ को समर्पित शब्द है। जबकि भारत शब्द देश के इतिहास के पूर्णकाल में बनी संस्कृ ति व रीति रिवाज तथा अंग्रेजों के विरूद्ध भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के संग्राम को दर्शाता है। वहीं श्री पृथ्वी कन्न ने इंडिया शब्द का समर्थन करते हुए भारत की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बनी ब्राण्डिंग एवं इस मुद्दे को वर्तमान राजनीति से जोडते हुए संविधान के विरूद्ध बताया तथा विशेषज्ञा स्तर पर विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि इंडिया शब्द संवैधानिक रूप से दिया गया भारत की एकता का प्रतीक है जिसे बदलना भारतीय इतिहास व संविधान के साथ अक्षम्य छेडखान है। श्री सक्सेना एवं पृथ्वी कन्न ने विषय का विश्लेषण करते हुए भारत शब्द के इस्तेमाल से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्राण्डिंग को क्षति पहुंचने की बात का विश्लेषण कर कई स्तरों पर व्याख्यान किया। पॉडकास्ट को सुनने के लिये यह इस लिंक https://x.com/i/spaces/1OyKAVjdMAoGb पर क्लिक करें।